Wednesday 22 June 2022

बताओ क्या करूँ ?

तुम मुझे अकेला छोड़, बिना कहे चली गई\
मेरा जीवन वीरान हो गया, बताओ क्या करूँ ?
                                 
                                     रातों में तन्हा बैठा, तुम्हारी बातें याद करता हूँ 
                                     उजड़ गया ख्वाबों का चमन, बताओ क्या करूँ ?
                                      
तुम्हारी बातें, तुम्हारे हंसी, सभी याद आती है
दिल से नहीं निकलती यादें, बताओ क्या करूँ ?

                                               तुम्हारी यादों का झोंका, जकड लेता है मुझे 
नम हो जाती है मेरी आँखें, बताओ क्या करूँ ? 

तुम्हारी यादें जगाती है, तुमसे मिलने की प्यास
कैसे कटेगी मेरी यह जिंदगी, बताओ क्या करूँ ?

                                         अब कैसे बुझाऊँ तुम्हारी, बिछोह की आग को
                                          नहीं लिखा किसी किताब में, बताओ क्या करूँ ?          


Wednesday 23 June 2021

                                                        जीवन परिचय 


नाम             : भागीरथ कांकाणी 

जन्म स्थान    : बलदू  (लाडनू ) नागौर,राजस्थान 

शिक्षा           : वाणिज्य में स्नातक 

सम्प्रति         :व्यवसाय  ( आयात- निर्यात )

प्रकाशित      : संकट मोचन नाम तिहारो 
पुस्तकें           कुमकुम के छींटे 
                     एक नया सफर 
                     कुछ अनकही..... 

अभिरुचियाँ  : देश-विदेश भृमण,समाज सेवा, 
                      फोटोग्राफी,लेखन। 

सम्मान        : राजस्थान सरकार द्वारा  
                    भामाशाह सम्मान से सम्मानित।  
                    इंडिया इंटरनेशनल फ्रेंडशिप 
                    सोसाइटी द्वारा सम्मानित। 

सम्पर्क         :M - 98300 65061
                    :E mail - kankanibp@gmail.com
                    :https://santamsukhaya.blogspot.com
                    
प्रतिष्ठान :  इंडिया ग्लेजेज़ लिमिटेड 
                6 लॉयंस रेन्ज, 4 तल्ला 
                कोलकाता - 700 001 
                         
                अस. बी, जिरकॉन ( प्रा.) लिमिटेड 
                प्लॉट नम्बर - 306 , सेक्टर -9 
                फरीदाबाद (हरियाणा ) 121006 

               


Wednesday 16 June 2021

मेरा प्रेम-पत्र

मैं चाहता हूँ तुम्हें
एक बार फिर से लिखूँ 
खुशबु और प्यार भरा
एक प्रेम-पत्र

तुम गली के मोड़ पर
फिर से खड़ी हो कर 
करो इन्तजार डाकिये का
लेने मेरा प्रेम-पत्र

बंद कर दरवाजा
फिर पढ़ो चुपके-चुपके
मेरा प्रेम-पत्र

तकिये पर सिर रख
चौंको किसी आहट पर
पढ़ते हए मेरा प्रेम-पत्र

झूमते तन-मन से
बार-बार पढ़ो 
तुम मेरा प्रेम-पत्र

मेरे प्यार का
तुम्हें एक बार फिर से
अहसास दिलाएगा
मेरा यह प्रेम-पत्र।

तुम हो मेरे जीवन साथी

तुम हो मेरे जीवन साथी 
साथ - साथ चलते रहना,
अगर कहीं मैं थक जाऊं 
हाथ पकड़ बढ़ते रहना। 

मैं हूँ नादां समझ नहीं है 
तुम  थोड़ा  समझा देना, 
अगर कहीं मैं भूल करूँ 
तुम अनदेखी कर देना। 

जैसे चन्दन में सुगंध बसे 
मेरे जीवन में तुम बसना, 
कभी न छूटे साथ हमारा 
स्वप्न सलोने बुनते रहना। 

एक ही मंजिल है दोनों की 
मुश्किल में हिम्मत रखना,
प्यार भरा रिश्ता है अपना
जीवन भर साथ निभा देना। 


एक नया अर्थ

सूरज तो आज भी निकला है
फूल आज भी खिलें हैं
हवा आज भी चली है
मगर आज तुम नहीं हो।

यह सूरज की लालिमा
यह फूलों का खिलना
यह हवा का चलना
मेरे लिए आज एक
नया अर्थ लेकर आया है।

कल की सुबह
और आज की सुबह में
कितना अंतर है
यह मेरा मन समझता है।


हम दोनों का प्रेम

तुम्हारे और मेरे बीच 
पचास साल से 
प्रेम और विश्वास का 
सम्बन्ध है। 

तुम बोलते हो तो
मैं उसे सुनती हूँ,
तुम्हारी आवाज की चुप्पी
से भी मैं समझ जाती हूँ। 

कभी-कभी भ्रमवस
पूछ भी लेती हूँ कि
क्या तुमने मुझे कुछ कहा ?
तुम सुन कर हौले से
मुस्करा देते हो। 

तुम्हारा चुप रह कर
मुस्कराना भी मुझे
बहुत कुछ कह जाता है। 

तुम्हारा संवादहीन होना भी
मेरे लिए एक अर्थ रखता है। 

वह है तुम्हारा प्रेम
हमारा प्रेम
हम दोनों का प्रेम।


Monday 14 June 2021

मातृभाषा कराह रही है

आज के बच्चे जो 
पढ़-लिख गए हैं 
अंग्रेजी बोलने में ही 
गर्व का अनुभव करते हैं।   

अपनी मातृभाषा में 
बात करने में अब 
उनकी जबान ऐंठती हैं।  

ठंडे ज़ायक़े को 
दिमाग में घोलते हुये 
विदेशी भाषा बोलने में ही 
अपनी शान समझते हैं।  

भूले से भी नहीं दिखती 
उन्हें अपनी जमीन  
जिसकी जड़ों को लगातार 
काट रहे हैं। 

आत्मप्रदर्शन और   
आत्मप्रशंषा के शिकार 
खुदगर्जों के पार्श्व में बैठी 
मातृभाषा आज कराह रही है।