Monday 14 June 2021

मातृभाषा कराह रही है

आज के बच्चे जो 
पढ़-लिख गए हैं 
अंग्रेजी बोलने में ही 
गर्व का अनुभव करते हैं।   

अपनी मातृभाषा में 
बात करने में अब 
उनकी जबान ऐंठती हैं।  

ठंडे ज़ायक़े को 
दिमाग में घोलते हुये 
विदेशी भाषा बोलने में ही 
अपनी शान समझते हैं।  

भूले से भी नहीं दिखती 
उन्हें अपनी जमीन  
जिसकी जड़ों को लगातार 
काट रहे हैं। 

आत्मप्रदर्शन और   
आत्मप्रशंषा के शिकार 
खुदगर्जों के पार्श्व में बैठी 
मातृभाषा आज कराह रही है। 




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