उसकी शरारतें याद कर, रात भर जागता रहा।
उसकी हँसी ओ दिल्लगी से, मन बहलाता रहा।।
मैं तो अब लम्बी जिंदगी नहीं, मौत मांग रहा।
मौत के बाद, उसके दीदार की हसरत मांग रहा।
मैं उससे लड़ता रहा, लड़के हारता भी रहा।
मगर हार करके भी, उसी से फिर लड़ता रहा।।
आँखें बंद किये मैं रात भर, ख्वाब देखता रहा।
ख़्वाब में मिलने आएगी, यही आश लगाए रहा।।
मुड़ मुड़ जो देखती थी, उसका संग नहीं रहा।
मैं भी उसे भूलते-भुलाते, वक्त को काटते रहा।।
दिल में यादें संजोए, आँखों में पानी भरता रहा।
न मंजिल न हमसफ़र, फिर भी मैं चलता रहा।।
ok
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