घनघोर घटा हो
रिमझिम बरसात हो
मेरा मन भीगने का हो
और तुम आ जाओ।
चाँदनी रात हो
गंगा का घाट हो
किनारे नौका बँधी हो
और तुम आ जाओ।
मंजिल दूर हो
पांव थक कर चूर हो
कोई हमसफ़र न हो
और तुम आ जाओ।
आँखों में नींद हो
ख्वाबों में तुम हो
सपने का टूटना हो
और तुम आ जाओ।
मौसमें बहार हो
मिलने की चाहत हो
नजरें राहों में बिछी हों
और तुम आ जाओ।
ok
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