Sunday 6 September 2020

और तुम आ जाओ --20

घनघोर घटा हो
रिमझिम बरसात हो
मेरा मन भीगने का हो
और तुम आ जाओ।

चाँदनी रात हो
गंगा का घाट हो
किनारे नौका बँधी हो
और तुम आ जाओ।

मंजिल दूर हो
पांव थक कर चूर हो
कोई हमसफ़र न हो 
और तुम आ जाओ।

आँखों में नींद हो
ख्वाबों में तुम हो
सपने का टूटना हो
और तुम आ जाओ।

मौसमें बहार हो
मिलने की चाहत हो
नजरें राहों में बिछी हों 
और तुम आ जाओ।

ok







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