Saturday 5 September 2020

चलो भीगते हैं --26

कलकत्ते में 

आ गया मानसून 

सुबह से झमाझम 

पानी बरस रहा है। 


वर्षा की फ़ुहारों संग 

बरसने लगी है 

तुम्हारी यादें भी। 


बरसात आते ही 

तुम सदा मेरा 

हाथ पकड़ कहती 

चलो भीगते हैं।  


हर बारिश में 

तुम भीगने ले जाती 

मुझे अपने साथ। 


बारिश की बूंदों में तो 

आज भी वही ताजगी 

और शरारत है। 


मगर आज तुम नहीं हो 

अब कौन कहेगा मुझे 

चलो भीगते हैं। 


काश !

तुम आज मेरे साथ होती 

और हाथ पकड़ कहती

चलो भीगते हैं। 

ok

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