Monday 7 September 2020

जीवन बेराग री --6

जीवन संध्या 
साथ छूटना
राहे सफर
अकेले चलना
साथ छूटा, राह भुला, मुश्किल हुई  मंजिल री।
मधुऋतु बीती, पतझड़ आया, जीवन बेराग री।

तनहा रहना 
जुदाई सहना
घुट-घुट जीना 
टूट-टूट बिखरना 
उदासी छाई, आँखें भर आईं, मिटा अनुराग री।
मधुऋतु बीती, पतझड़ आया,  जीवन बेराग री।

निष्प्राण जीवन
गमों को सहना
विरह के आँसू
अरमाँ बिखरना
साज टूटा, स्वर रूठा, अब गीत बना बेराग री।
मधुऋतु बीती, पतझड़ आया, जीवन बेराग री।

विकल वेदना
जीवन में सहना
व्याकुल ह्रदय
यादों संग जीना
ख़्वाब आया, दीदार हुआ, सपना प्यारा टूटा री।
मधुऋतु बीती, पतझड़ आया, जीवन बेराग री।

ok




No comments:

Post a Comment