क्या तुम्हें याद है
हम जाते थे प्रति वर्ष
हिमालय की वादियों में घूमने ?
जहाँ होते थे
हम जाते थे प्रति वर्ष
हिमालय की वादियों में घूमने ?
जहाँ होते थे
कास के फूलों जैसे उड़ते बादल
सैलानी हवा से झूमते जंगल।
दूध धुले हिमशिखर
नदियों की बहती तेज धाराएं
ढलानों पर तराशी खेतियाँ।
सैलानी जीवन में
कितना कुछ जिया
हम दोनों ने साथ-साथ।
हिमालय की वादियाँ तो
आज भी वैसी ही हैं
सैलानी हवा से झूमते जंगल।
दूध धुले हिमशिखर
नदियों की बहती तेज धाराएं
ढलानों पर तराशी खेतियाँ।
सैलानी जीवन में
कितना कुछ जिया
हम दोनों ने साथ-साथ।
हिमालय की वादियाँ तो
आज भी वैसी ही हैं
श्वेत बर्फ की चादर से ढकी हुई।
मेरा मन तो आज भी
उन फिजाओं में तुम्हारे संग
घूमना चाहता है।
उन बहारों में
तुम्हें अपनी बाँहों में
भरना चाहता है।
एक बार लौट आओ
यूँ हमेशा के लिए भी
क्या कोई बिछुड़ता है ?
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