खेत के रास्ते में
पोल्की* को तोड़
तुमने एक अँगूठी बना
मुझे पहनाई थी।
वह अँगूठी
आज भी मेरी
अनामिका में हरी है।
तुम्हारे जाने के बाद
मैंने उसे अपने
आँसुओं से सींचा है।
उसकी जड़ें
मेरे दिल तक
चली गई हैं।
उसकी जड़ों ने
बाँध दिया है
मेरी आत्मा को।
तुमने एक अँगूठी बना
मुझे पहनाई थी।
वह अँगूठी
आज भी मेरी
अनामिका में हरी है।
तुम्हारे जाने के बाद
मैंने उसे अपने
आँसुओं से सींचा है।
उसकी जड़ें
मेरे दिल तक
चली गई हैं।
उसकी जड़ों ने
बाँध दिया है
मेरी आत्मा को।
जन्म-जन्मांतर
के अमर प्रेम सूत्र में
तुम्हारे संग।
ok
ok
*राजस्थान के खेतों में पाई जाने वाली एक नरम घास।
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