Saturday 5 September 2020

यादों का वृन्दावन --27

मैं तुम्हें जितना ज्यादा
याद करता हूँ,
मेरा दुःख उतना ही
ज्यादा बढ़ता जा रहा है। 

मैं चाहता हूँ
तुम्हें याद करना छोड़ दूँ,
जिससे मेरा दुःख कुछ
कम हो जाए। 

लेकिन जितना कम
याद करता हूँ,
उतनी ही ज्यादा
याद आने लगती  हो। 

समझ में नहीं आ रहा
कि मैं क्या करूँ,
कैसे इस दर्द से
छुटकारा पाऊँ। 

जिंदगी में हर किसी ने
याद करना सिखाया,
भूलना कैसे है यह
किसी ने नहीं सिखाया। 

दिल भी बड़ा नादान है
जीवन के सफर में केवल,
यादों के वृन्दावन में ही 
विचरना चाहता है। 

ok








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