कहाँ है वो गुलाबी चेहरा
जिसे देख चाँद भी शर्माता है ?
कहाँ है वो काली जुल्फें
जिन्हें देख भँवरे भी गुनगुनाते हैं ?
कहाँ है वो माथे की बिंदियाँ
जिसे देख तारे भी झिलमिलाते हैं ?
कहाँ है वो शरबती आँखें
जिन्हें देख खंजन भी शर्माते हैं ?
जिन्हें देख भँवरे भी गुनगुनाते हैं ?
कहाँ है वो माथे की बिंदियाँ
जिसे देख तारे भी झिलमिलाते हैं ?
कहाँ है वो शरबती आँखें
जिन्हें देख खंजन भी शर्माते हैं ?
कहाँ है वो नरम-नाजुक होंठ
जिन्हें देख गुलाब भी शर्माता है ?
कहाँ हैं वो रेशमी हथेलियाँ
जिन्हें छू मेंहदी भी सुर्ख हो जाती है ?
कहाँ है वो हसीन पाँव
जहाँ बैठ पायल भी खनखनाती है?
जिन्हें देख गुलाब भी शर्माता है ?
कहाँ हैं वो रेशमी हथेलियाँ
जिन्हें छू मेंहदी भी सुर्ख हो जाती है ?
कहाँ है वो हसीन पाँव
जहाँ बैठ पायल भी खनखनाती है?
मेरे मन के दर्पण पर
तुम्हारी आहटें आज भी जिन्दा हैं।
ok
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