Saturday 5 September 2020

मधुमासी जीवन का अन्त --33

कल शाम
अचानक धर्मपत्नी का
स्वर्गवास हो गया। 

रात भर प्रभु कीर्तन चला
सुबह होते ही उठाने का
काम शुरू हो गया। 

नहला कर
नई साड़ी पहनाई गई
माँग में सिंदूर भरा गया। 

अर्थी को फूलों से सजा कर
ऊपर रामनामी चद्दर को
ओढ़ाया गया। 

राम नाम सत्य का
उच्चारण करते हुए अर्थी को
श्मशान घाट लाया गया। 

देह को चिता पर रख
घी, नारियल, चन्दन
आदि रखा गया। 

बेटे द्वारा मुखाग्नि देकर
अंतिम रश्म को 
पूरा किया गया।  

मेरे अरमानों की चिता जलने लगी 
और मेरे मधुमासी जीवन का अन्त
मेरी नज़रों के सामने हो गया। 

ok 

No comments:

Post a Comment