Friday 5 March 2021

दो दिन का बस मेला है

                                                                 शिव शंभू आओ धरती पर
हे जग के विषपायी,
एक वायरस ने दुनिया को
कर दिया धराशायी। 

सभी घरों में कैद हो गए
कैसी यह लाचारी, 
कैसा महासंक्रमण आया 
कैसी यह महामारी। 

रोज-रोज गिरती है लाशें
कौन करे अब गिनती,
यमराज भी थक गए हैं 
नहीं सुनते अब विनती। 

एक मास्क में सिमट गई
साँसें सारे जीवन की,
नहीं मिली दवा आज तक
    इस व्याधि के उपचार की। 

थम रहा जीवन पृथ्वी पर
चारों  तरफ  निराशा  है, 
जीवन  तो  लगता है जैसे
दो दिन का बस मेला है।

ok 

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