ढलती उम्र में
जीवन की तमाम
चिंताओं से मुक्त हो कर
जीवन संगिनी के संग बैठ
चाय की चुस्कियों के बीच
बीते पलों को फिर से
जीवन संगिनी के संग बैठ
चाय की चुस्कियों के बीच
बीते पलों को फिर से
जीने का अहसास
बहुत सुखद होता है।
लेकिन मेरे जीवन में
यह अब एक सपना
बन कर रह गया है।
जीवन संगिनी के
बिछुड़ने के बाद
बदल गया है
जिन्दगी का अर्थ।
अब अकेलेपन
जीवन संगिनी के
बिछुड़ने के बाद
बदल गया है
जिन्दगी का अर्थ।
अब अकेलेपन
और तन्हाई के जीवन में
चाय के संग
नहीं घुलती कोई मिठास।
चाय अब मेरे लिऐ
केवल एक जरूरत भर
रह गई है।
ok
No comments:
Post a Comment