ऋषियों की पावन धरा
आज शर्म से डूब रही,
हर गली ओ नुक्कड़ पर
औरत सतायी जा रही।
पांच साल की बच्ची भी
हवस का शिकार हो रही,
सभ्यता और मर्यादा की
देश में धज्जियाँ उड़ रही।
बलात्कार और हत्या
दोहरे जुल्म हो रहें,
बर्बरता की सारी हदें
दरिंदे पार कर रहें।
कब तक हमारी निर्भया
इस तरह मरती रहेगी,
कब तक इन शैतानों की
कब तक इन शैतानों की
दरिन्दगी सहती रहेगी।
हैवानियत को देख कर
मानवता अब काँप रही,
बलात्कारी को फाँसी दो
देश की जनता माँग रही।
ok
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