Friday 5 March 2021

अपनी विरासत

                                                                         गाँवों में लोग 
आज भी देते हैं सूर्य को अर्ध्य 
निवेदित करते हैं तुलसी को जल

आज भी वहाँ 
पड़ते हैं सावन के झूले 
गूँजते हैं कजरी के बोल

औरतें रखती हैं  
चौथ का व्रत और करती हैं 
निर्जला एकादशी 

भोरा न भोर 
करती हैं  ठन्डे पानी से स्नान 
रखती व्रत कार्तिक मासी

दिवाली में 
गोबर से लिपती हैं घर
 माँडती है रंगोली

होली में 
बच्चे-बुड्ढे हो जाते हैं एक 
लगाते रंग, खेलते हैं होली

गाँव आज भी 
पुरखों की बनाई व्यवस्था 
पर गर्व करते हैं 

अपनी विरासत को 
पीढ़ी दर पीढ़ी संजोए 
रखते हैं। 




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