पहले घर छोटे थे
मकान कच्चे थे
कमाई सीमित थी
मगर दिल बड़े होते थे।
एक सब्जी से रोटी
खा लिया करते थे
कभी प्याज -चटनी से भी
काम चला लिया करते थे।
एक भाई कमा कर
चार भाई का घर भी
चला लिया करता था।
सभी मस्त रहते थे
घर में हँसी - ख़ुशी
और कहकहों की
फुलझड़ियाँ फूटती थी।
डिप्रेशन, उदासी और
ब्लडप्रेशर का कोई
नाम तक नहीं जानता था।
जीवन के मूल्य ऊँचे होते थे
दया और शान्ति का जीवन था
संतोष में ही सुख था।
आज पैसे की कमी नहीं
सुख-साधनों का आभाव नहीं
फिर भी सुख की नींद नहीं।
आज बेटा बाप से नहीं बोलता
भाई - भाई से लड़ता
मगर दिल बड़े होते थे।
एक सब्जी से रोटी
खा लिया करते थे
कभी प्याज -चटनी से भी
काम चला लिया करते थे।
एक भाई कमा कर
चार भाई का घर भी
चला लिया करता था।
सभी मस्त रहते थे
घर में हँसी - ख़ुशी
और कहकहों की
फुलझड़ियाँ फूटती थी।
डिप्रेशन, उदासी और
ब्लडप्रेशर का कोई
नाम तक नहीं जानता था।
जीवन के मूल्य ऊँचे होते थे
दया और शान्ति का जीवन था
संतोष में ही सुख था।
आज पैसे की कमी नहीं
सुख-साधनों का आभाव नहीं
फिर भी सुख की नींद नहीं।
आज बेटा बाप से नहीं बोलता
भाई - भाई से लड़ता
पति से पत्नी तलाक माँगती
तनाव भरा जीवन जी रहें हैं हम।
क्या हम इस दुःख की
नब्ज को पहचान कर
एक सुखी जीवन जीने का
प्रयास नहीं कर सकते ?
तनाव भरा जीवन जी रहें हैं हम।
क्या हम इस दुःख की
नब्ज को पहचान कर
एक सुखी जीवन जीने का
प्रयास नहीं कर सकते ?
No comments:
Post a Comment