Thursday 4 March 2021

बेटी की विदाई --40

दुल्हन का श्रृंगार सजा कर
बेटी आज ससुराल चली,
पलकों में भर कर आंसू
बेटी माँ से गले मिली। 

रो-रो कर वह पूछ रही
माँ क्यों मुझको सजा मिली,
छुड़ा रही क्यों घर का आँगन
बचपन की जहाँ याद बसी। 

गले लगा माँ ने समझाया
जग की रीत यही है बेटी, 
ससुराल तुम्हारा घर होगा 
सबका मान बढ़ाना बेटी। 

याद सदा आएगी हमको  
चौखट आज हुई खाली,
बिना तुम्हारे घर -आँगन 
सदा लगेगा खाली-खाली। 

दोनों कुल की लाज लाड़ली  
रखना होगा तुम्हें संभाल, 
आशीर्वाद यही है मेरा 
सदा रहो तुम खुशहाल। 

पास जाय पापा से बोली
कैसी घड़ी यह आज आई,
पाल पोस कर बड़ा किया
फिर क्यों दे दी आज बिदाई। 

बड़े प्यार से बोले पापा
बेटी दुनियाँ ने रीत बनाई,
मैंने दिल पर पत्थर रख कर
केवल जीवन रीत निभाई। 

खुशियाँ तेरे संग चलेगी
जिस घर भी तू जायेगी,
मेरे घर की रौनक थी तू
अब नया संसार बसायेगी। 

तेरे बचपन की अठखेलियाँ
सदा हमें तरसायेगी,
आँखों से छलकेंगे आँसूं
जब याद तुम्हारी आयेगी।

OK 

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