Thursday 4 March 2021

ध्वनि रहित प्रदूषण --39

                                                                         हमारे घरों में
आज-कल ध्वनि रहित
प्रदूषण घुस गया है।

आज हर कोई अपने कमरे में
टी.वी., कम्प्यूटर, मोबाईल से 
उलझा बैठा है।

पूरे घर में एक
गहन चुप्पी छाई हुई है
किसी के पास आपस में
  बात करने का समय नहीं है।

भीतर ही भीतर
लोग घुट रहें हैं, टूट रहें हैं 
संवादहीन प्रदूषण से।

लेकिन क्या कभी
हमने सोचा है कि ये सब 
हमारी ही
महत्वकांक्षाओं की उपज है।

बड़े दिखने और
बड़े दिखाने की ख्वाहिश 
हमें कहाँ तक ले आई है ? सोचिये !

संवेदना तभी बचेगी
जब आपस में संवाद होगा
समय रहते ही सम्भलना होगा
वरना फिर तो मलाल ही करना होगा।

OK 

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