ले जाने को उस पार,
कुछ तो साथी चले गए
बाकी का नम्बर तैयार।
दुनिया केवल रैन बसेरा
एक दिन सबको जाना है,
कोई आगे, कोई पीछे
इसी नाव पर चढ़ना है।
जीवन तो है भ्रम का मेला
हंसी,ख़ुशी,क्रीड़ा, किल्लोल,
मरण समय जब आएगा
ले जाएगा सब कुछ खोल।
दो दिन का बस मेला है
अंतिम नियति तो जाना है,
नौका लगी किनारे पर
कोई अनश्वर नहीं यहाँ
यही तो साश्वत सत्य है,
निर्धन हो चाहे धनवान
इसी राह पर जाना है।
निर्धन हो चाहे धनवान
इसी राह पर जाना है।
परिवार और रिश्ते नाते
सबका क्षणिक साथ है,
चाहे जितना धन कमालो
जाना तो खाली हाथ है।
दो दिन का बस मेला है
अंतिम नियति तो जाना है,
नौका लगी किनारे पर
अपनी बारी चढ़ना है।
ok
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