छोटी-छोटी बातें ही जब
मन में संशय जगा जाए
आपस का विश्वास टूटे
रिश्ते-नाते मिट जाए।
धन का झूठा लालच जब
मन में स्वार्थ जगा जाए
आत्मीयता के बन्धन सारे
पल भर में बिखर जाए।
चंद कागज़ के टुकड़ों पर
जीवन सुकून चला जाए
खुशियाँ निकले जीवन से
भाईचारा बिखर जाए।
हो जाए जब अहम बड़ा
कौन मन का भ्रम मिटाए
भरोसे के लिबास में भी
शक का दाग नजर आए।
बातों की जज्बाती चुप्पी
मन में ढेरों संशय जगाए
एकाकी जीवन रह जाए
रिश्ते दिल से मिट जाए।
तुम भी वही हम भी वही
फिर क्यों हम बैर बढ़ाए
आओ मिल सब साथ रहें
फ़िर से बचपन लौटा लाए।
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