Thursday 4 March 2021

जीवन की राहों के बीच में --101

वह देख रही है
फैशन मैगजीन में
लेटेस्ट डिजाइन का परिधान
उसे दिखाना है अपना रुतबा
किटी पार्टी की सहेलियों के बीच में।

शहर के सब से महंगे
नाईट कल्ब में देना चाहती है
शादी की साल गिरह की पार्टी
उसे दिखाना है अपना वजूद
फ्रेंड सर्कल के बीच में।

शराब के टकराते जाम
धुऐं के उठते गुब्बार
नाचती बार बालाओं के बीच
उसे दिखाना है अपने आप को 
मॉडर्न सोसाइटी के बीच में।

बैचेन होती है
मेरी कविता यह सब देख कर
तुलसी की जगह कैक्टस
लगाने के दिन आ गए हैं
जीवन की राहों के बीच में।


OK

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