ना तुमको ऑफिस जाना है
ना मुझ को जल्दी उठना है,
दोनों मिल कर काम करेंगे
अब घर में ही तो रहना है।
तुम उठ करके चाय बनाना
चाय बना कर मुझे उठाना,
मैं जब पूजा - पाठ करुँगी
झाड़ू - पोंछा तुम कर लेना।
नल से तुम पानी भर लेना
कपड़े सारे फिर धो लेना,
मैं दोपहर में जब सोऊँगी
चौका-बर्तन तब कर लेना।
मुझको जूस बना कर देना
तुम थोड़ा काढ़ा पी लेना,
कैसे लगता दाल में तड़का
इसकी ट्रेनिंग मुझ से लेना।
संयम से अब घर में रहना
घर के कामों में हाथ बंटाना, कोरोना वायरस से बचना है
घर से बाहर नहीं निकलना।
ok
Kolkata
20th July, 2020
*कोरोना महामारी के समय लिखी हुई व्यंग्यात्मक कविता।
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