Thursday 4 March 2021

घर से बाहर नहीं निकलना -- 112

ना तुमको ऑफिस जाना है
ना मुझ को  जल्दी उठना है,
दोनों मिल कर  काम करेंगे
अब  घर में ही तो  रहना है।

तुम उठ करके चाय बनाना
चाय  बना कर मुझे उठाना,
मैं जब पूजा - पाठ करुँगी 
 झाड़ू - पोंछा तुम कर लेना।

नल से तुम  पानी भर लेना
कपड़े  सारे  फिर धो लेना,
मैं दोपहर में  जब सोऊँगी
चौका-बर्तन तब कर लेना।

मुझको जूस बना कर देना
 तुम  थोड़ा  काढ़ा  पी लेना,
 कैसे लगता दाल में तड़का
  इसकी ट्रेनिंग मुझ से लेना।

 संयम से  अब घर में रहना
                                                                घर के कामों में हाथ बंटाना,                                                                  कोरोना वायरस से बचना है 
   घर से बाहर नहीं निकलना।
ok

 Kolkata 
20th July, 2020

*कोरोना महामारी के समय लिखी हुई व्यंग्यात्मक कविता। 

No comments:

Post a Comment