मैं बनाना चाहता हूँ
इस धरा को वृन्दावन,
जहाँ कुंज-कुंज में हो
प्रभु के दर्शन।
मैं लिखना चाहता हूँ
प्रभु की पवित्र कथा,
जिसे पढ़ कर जग की
दूर हो व्यथा।
मैं बनाना चाहता हूँ
प्रभु का सुन्दर चित्र,
जिसे देख कर सब की
आत्मा हो पवित्र।
मैं बहाना चाहता हूँ
प्रेम की रसधार,
जिससे सबको मिले
आनंद की बयार।
मैं जलाना चाहता हूँ
भक्ति-ज्ञान की चेतना,
जिसके प्रकाश में मिटे
सब की वेदना।
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